Sunday, August 9, 2015


‘शिवपूजन सहाय साहित्य-समग्र’

आज ९ अगस्त  को आ. शिवपूजन सहाय की १२२ वीं जयंती है. बिहार सरकार इस अवसर पर पटना में उनका जयंती-समारोह उत्सवपूर्वक मनाती है. अन्यत्र भी उनकी जयंतियां मनाई जाती हैं. शिवपूजन सहाय की साहित्य-सेवा का प्रारम्भ १९१७ में काशी से हुआ और १९२४ से १९३४ तक वे लगातार काशी में ही रहे. प्रेमचंद, प्रसाद और निराला प्रारम्भ से उनके अभिन्न  समानधर्मा रहे. इस प्रकार  उत्तर प्रदेश ही उनकी मूल साहित्यिक कर्मभूमि रही, यह एक सच्चाई है. इसलिए इस प्रसंग में यहाँ उनको स्मरण करना समीचीन है.

शिवपूजन सहाय का साहित्यिक लेखन १९१० से १९६२ के बीच की अर्द्धशती में फैला हुआ है. उपन्यास्, कहानी, संस्मरण, निबंध आदि विधाओं में उन्होंने उच्चकोटि का साहित्य-सृजन किया. पत्रकारिता और सम्पादन के क्षेत्र में तो उनका योगदान अन्यतम है. मैनें उनके सम्पूर्ण साहित्य का संकलन-सम्पादन ‘शिवपूजन सहाय साहित्य-समग्र’ के १० खण्डों में किया जिस कार्य में मुझको ३०-४० वर्ष लगे. जनवरी, २०११ में उनके निधन के लगभग ५० वर्ष बाद दिल्ली में २४ जनवरी, १९११ को ‘समग्र’ का लोकार्पण डा. नामवर सिंह ने किया. इस अवसर पर श्री मेनेजर पांडे और श्री विश्वनाथ त्रिपाठी के अलावा दिल्ली और पटना के कई प्रमुख साहित्यकार उपस्थित हुए. डा. नामवर सिंह ने अपने लोकार्पण भाषण में ‘समग्र’ को अब तक प्रकाशित और सामान्यतः प्रकाशित होने वाली हिंदी की ग्रंथावलियों में अन्यतम बताया. कहा – 

मैं मंगलमूर्ति को बधाई देता हूँ कि इस ‘समग्र’ को संपादित-प्रकाशित करके उन्होंने पित्री-ऋण को पूरी तरह चुका दिया है. इतने व्यवस्थित और वैज्ञानिक ढंग से संपादित दूसरी कोई ग्रंथावली अब तक प्रकाशित नहीं हुई है. और मंगलमूर्ति ने इसे ग्रंथावली नहीं ‘समग्र’ नाम दिया है जिसमे एक पूर्णता का बोध है. मेरी दृष्टि में यह ‘समग्र’ ग्रंथावली-सम्पादन का एक आदर्श रूप प्रस्तुत करता है; बल्कि कहना चाहिए कि हिंदी में ग्रंथावली संपादन के क्षेत्र में यह ‘समग्र’ एक मानदंड की तरह है.






डा. विश्वनाथ त्रिपाठी और डा. मेनेजर पांडे ने भी आ. शिव के प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए उन्हें एक महान साहित्यकार से भी ऊपर एक साहित्यकार-स्रष्टा बताया.
   

‘समग्र’ के विषय में एक पोस्ट इसी ब्लॉग में ५ अक्टूबर, २०१० के आर्काइव में देखा जा सकता है. दसों खंडो की सामग्री का विवरण भी इसी ब्लॉग पर उपलब्ध है. उनके नाम पर स्थापित न्यास का पूरा विवरण भी यहाँ उपलब्ध है. उनके विशाल साहित्यिक संग्रह के संरक्षण की दिशा में तथा अन्य और भी बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य न्यास ने अपने २२ साल के कार्यकाल में संपन्न किये हैं. न्यास के तत्त्वावधान में अनेक महत्वपूर्ण स्मारक व्याख्यान एवं सम्मान-समारोह हो चुके हैं. आ. शिव पर कई फ़िल्में भी दूरदर्शन से प्रसारित हुई हैं. इस ब्लॉग में पूर्व के कई आलेखों में शिवपूजन सहाय के साहित्य पर सामग्री उपलब्ध है. उनकी कई रचनाओं के अंग्रेजी अनुवाद भी इसी ब्लॉग में पढ़े जा सकते हैं.आप यदि नियमित इस ब्लॉग को देखें तो इस पर आ. शिवपूजन सहाय के साहित्य पर आप बहुत सारी सामग्री पढ़ सकते हैं. जल्दी ही इस ब्लॉग पर कुछ छोटे विडियो भी अपलोड होंगे और शिवपूजन सहाय के जीवन और साहित्य से सम्बद्ध एक चित्रों का एल्बम भी देखा जा सकेगा..  

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